भारतीय वायुसेना के 5वीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट
भारतीय वायुसेना:-
भारत का स्वदेशी पाँचवीं पीढ़ी का उन्नत फाइटर एयरक्राफ्ट एएमसीए है। यह भारतीय वायुसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के लिए एक महत्वपूर्ण अस्त्र है। पाँचवीं पीढ़ी का उन्नत फाइटर एयरक्राफ्ट; जो भारत को अत्याधुनिक सैन्य तकनीक से लैस करने के लिए एक बड़ा कदम है। भारत में एएमसीए की पहली उड़ान साल 2028 में होने की उम्मीद की जा रही है।

1. भारतीय वायुसेना की एएमसीए परियोजना का संक्षिप्त परिचय:-
भारतीय वायुसेना की एएमसीए यानि Advanced Medium Combat Aircraft एक स्टील्थ यानि रडार से बचने में सक्षम, पाँचवीं पीढ़ी का मल्टी-रोल लड़ाकू विमान होगा, जिसे एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ADA और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड HAL के सहयोग से पूर्ण रूप से विकसित किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय वायुसेना को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ना है और भारत की आयात पर निर्भरता को कम-से-कम करना है।
भारत का एएमसीए दो वेरिएंट्स में देश की रक्षा के लिए आएगा:-
- मार्क 1 – यह भारत में बने मौजूदा इंजनों का सही और सरल उपयोग करेगा।
- मार्क 2 – यह भविष्य में विकसित किए जाने वाले भारत में बने स्वदेशी इंजन के साथ अपनी सही उड़ान भरेगा।
2. इस एयरक्राफ्ट के विकास की समयरेखा:-
- साल 2010: भारत में एएमसीए पर औपचारिक रूप से काम शुरू हुआ।
- साल 2023: भारतीय कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी यानि CCS से परियोजना को मंजूरी की कुछ उम्मीद की गई।
- साल 2024-25: भारत में प्रोटोटाइप का निर्माण शुरू होने की संभावना की गई।
- साल 2028: भारत में इसकी पहली उड़ान का लक्ष्य होगा।
- साल 2035 तक: भारत में इसका पूर्ण उत्पादन और सेवा में प्रवेश की आशा की गयी है।
3. भारतीय वायुसेना के एएमसीए की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:-
(क) इसका स्टील्थ डिज़ाइन का होना:-
- भारतीय वायुसेना की एएमसीए का मुख्य आकर्षण उसका लो ऑब्जर्वेबिलिटी डिज़ाइन का होना है, जो उसे हमेशा रडार की निगरानी से बचाएगा।
- भारतीय वायुसेना की एएमसीए में विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए वायुगतिकीय आकार, रडार-शोषक सामग्री का होना और इंटरनल वेपन बे का होना भी शामिल है।
(ख) इसकी मल्टी-रोल क्षमता का होना:-
- भारतीय वायुसेना की एएमसीए का विमान हवा से हवा में मार करने, हवा से ज़मीन में मार करने, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में सक्षम और खुफिया मिशनों में पूर्ण रूप से सक्षम होगा।
- भारतीय वायुसेना की एएमसीए के विमान की उड़ान सीमा 2000 किमी से अधिक होगी और सुपरसोनिक क्रूज़ की क्षमता से लेस होगा।
(ग) इसकी आधुनिक एवियोनिक्स क्षमता का होना:-
- भारतीय वायुसेना की एएमसीए में Active Electronically Scanned Array रडार का होना, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट का होना और सेंसर्स का नेटवर्क शामिल है जो नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है।
4. एएमसीए का रणनीतिक और सामरिक महत्व पर एक नजर:-
(क) भारत की आत्मनिर्भरता:-
एएमसीए की योजना सफल रहती है तो यह भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। यह भारत के रक्षा क्षेत्र में आयात पर निर्भरता को कम करेगा और देश में रक्षा निर्माण को अधिक बढ़ावा देगा।
(ख) इसकी तकनीकी श्रेष्ठता पर एक नजर:-
भारत के पाँचवीं पीढ़ी के विमानों की गिनती दुनिया के सबसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों में की जाती है। एएमसीए भारत को अमेरिका के F-35 लड़ाकू विमान, रूस के Su-57 लड़ाकू विमान और चीन के J-20 लड़ाकू विमानों को इन देशों की कतार में खड़ा करेगा।
(ग) इसकी निर्यात क्षमता की संभावनाएँ:-
भारत में स्वदेशी रूप से विकसित एएमसीए को भविष्य में मित्र देशों को निर्यात करने की संभावना होगी, जिससे भारत रक्षा निर्यात में एक नई ऊँचाई पर पहुँच सकेगा जिससे भारत की ताकत पूरे विश्व को दिखेगी।
5. एएमसीए की चुनौतियाँ और इसका समाधान:-
(क) इसकी इंजन विकास क्षमता:-
भारत की वायुसेना अभी तक पूरी तरह से स्वदेशी फाइटर जेट इंजन की तकनीक विकसित नहीं कर पायी है। भारत में AMCA Mk1 हमेशा विदेशी इंजन पर आधारित रहेगा, जबकि Mk2 को स्वदेशी इंजन के रूप में बनाने का लक्ष्य है। इसके लिए फ्रांस या अन्य देशों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से प्रयास किए जा रहे हैं।
(ख) इसकी तकनीकी जटिलताएँ:-
स्वदेशी विकास की जटिल प्रिक्रियाओं में स्टील्थ तकनीक, एडवांस एवियोनिक्स और सुपरक्रूज़ जैसी क्षमताओं का विकसित होना है। जिसके लिए भारत में तकनीकी विशेषज्ञता और दीर्घकालिक निवेश की अधिक आवश्यकता है।
(ग) वित्तीय निवेश का होना :-
भारत में इस तरह की परियोजनाओं के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होती है। यदि वित्तीय सहायता समय पर मिले जाये, तो यह परियोजना तेजी से आगे बढ़ सकेगी।
इसका निष्कर्ष:-
भारतीय वायुसेना का एएमसीए केवल एक लड़ाकू विमान मात्र नहीं है, यह भारत के रक्षा तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रतीक चिन्ह भी है। साल 2028 में इसकी पहली उड़ान से यह साबित होगा कि भारत उच्च तकनीक युक्त सैन्य उपकरणों को अपने दम पर विकसित कर सकता है। भारत में इस परियोजना की सफलता उसे वैश्विक स्तर पर एक विश्वसनीय और आधुनिक रक्षा तकनीक संपन्न राष्ट्र के रूप में पहचान दिलाएगी।
भारत में एएमसीए का विकास भारत की रक्षा तैयारी, सामरिक स्वायत्तता और वैश्विक सैन्य प्रतिस्पर्धा में मजबूती का प्रतीक बना रहेगा। यह आने वाले सालों में भारत जैसे उभरते हुए देश के लिए एक गेम चेंजर सिद्ध हो सकता है।
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