Edible oil (खाद्य तेलों )का महंगाई पर कितना असर:-
Edible oil खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी से महंगाई भी बढ़ती है क्योंकि खाद्य तेल का इस्तेमाल अधिकांश घरों में होता है। माना तेल महंगा होता है, तो इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर ही नहीं पड़ता है, बल्कि इससे जुड़े अन्य उत्पादों की लागत भी बढ़ जाती है, जैसे कि सब्जियाँ, दालें, आटा, मिठाइयाँ और खाने-पीने की तैयार चीज़ें। क्योंकि बाहर मिलने वाली अधिकतर वस्तुओं में खाद्य तेलों का इस्तेमाल होता है।
खाद्य तेलों का उपयोग कई प्रकार से होता है। इनमें से कुछ उपयोग निम्नलिखित दिये गए हैं:
- खाना पकाने में:-
- खाना पकाने, तलने, भूनने और बेकिंग के लिए भी खाद्य तेलों का उपयोग किया जाता है।
- सूरजमुखी तेल, सरसों तेल, सोयाबीन तेल, जैतून तेल, नारियल तेल, और घी आदि के तेलों का विभिन्न व्यंजनों में उपयोग किया जाता है।
- स्वास्थ्य और पोषण में:-
- बहुत से तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं (जैसे जैतून तेल और अलसी का तेल), जो हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं।
- नारियल का तेल और घी से बनी वस्तु ऊर्जा प्रदान करने में सहायक सिद्ध होते हैं।
- औषधीय और आयुर्वेदिक उपयोग में:-
- साथ ही तिल का तेल और नारियल का तेल आयुर्वेद में औषधीय उपचार के लिए उपयोग किए जाते रहें हैं।
- ठंड और जुकाम में सरसों का तेल लाभकारी होता है।
- सौंदर्य और त्वचा देखभाल में:-
- नारियल तेल, बादाम तेल और आंवला तेल का उपयोग बालों की देखभाल के लिए किया जाता है।
- त्वचा को मुलायम और नमीयुक्त बनाए रखने के लिए जैतून तेल और अरंडी का तेल का उपयोग होता है।
- संरक्षण और परिरक्षण में:-
- तेल का उपयोग कुछ खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक संरक्षित करने के लिए किया जाता है, जैसे अचार और कुछ मसालेदार व्यंजन आदि।
- औद्योगिक और अन्य उपयोग में:-
- खाद्य तेलों का उपयोग; साबुन, सौंदर्य प्रसाधन, बायोडीजल और पेंट निर्माण में भी किया जाता है।
खाद्य तेल का चुनाव करते समय स्वास्थ्य और उपयोग के अनुसार ही करना चाहिए।
महंगाई बढ़ने के मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
- आयात पर होने वाली निर्भरता – भारत अपनी ज़रूरत का एक बहुत बड़ा हिस्सा विदेशी बाज़ारों से मांगता है, जिसमे ज़्यादातर पाम ऑयल, सोया ऑयल और सूरजमुखी तेल आदि प्रमुख हैं। यदि वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ती हैं, तो घरेलू बाजार में भी खाद्य तेलों पर असर पड़ेगा।
- मौसम और फसल उत्पादन – कुछ मुख्य फसलें जैसे: – सरसों, मूंगफली, सोयाबीन आदि तिलहन फसलों की पैदावार कम होने से कीमतें बढ़ सकती हैं।
- भू-राजनीतिक परिस्थितियाँ – वर्तमान समय में रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक संकटों से भी सप्लाई चेन बहुत हद तक प्रभावित हुई है, जिससे तेल महंगा हुआ है।
- मांग और आपूर्ति का बढ़ता असंतुलन – यदि मांग अधिक हो और पैदावार कम हो, तो कीमतें स्वतः ही बढ़ जाएंगी।
- ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स की बढ़ती लागत से – कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से, ट्रांसपोर्ट लगातार महंगा होता जा रहा है, जिससे खाद्य तेल की कीमतें भी लगातार बढ़ती जा रही है।
समाधान:-
- यदि सरकार आयात शुल्क में कटौती करे, तो तेल की कीमतों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
- स्वदेशी तेल उत्पादन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
- उपभोक्ताओं को सस्ते और स्वास्थ्यकर विकल्पों जैसे कि मूंगफली या सरसों के तेल की ओर ध्यान आक्रष्ट करने की आवश्यकता है।
- यदि खाद्य तेलों की कीमतें लगातार बढ़ती हैं, तो यह महंगाई दर को ऊपर धकेल सकती है और रोजमर्रा की ज़रूरतों को महंगा बना सकती है।
महंगाई को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार और केंद्रीय बैंकों जैसे RBI द्वारा कई उपाय अपनाए जाते हैं। इसे नियंत्रित करने के मुख्य तरीके निम्न प्रकार हैं:
- मौद्रिक नीति (Monetary Policy)
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ब्याज दरों को घटा-बढ़ाकर महंगाई पर काबू पाने की कोशिश करता रहता है:
- जब महंगाई बढ़ती है, तो RBI रेपो रेट बढ़ाता है, जिससे बैंकों को लोन लेना महंगा पड़ता है और बाजार में धन की उपस्थिती कम हो जाती है।
- कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) और स्टैच्युटरी लिक्विडिटी रेशियो (SLR) बढ़ाना: इससे बैंकों के पास लोन देने के लिए कम पैसे बचते हैं, जिससे मुद्रा प्रवाह घटता है।
- राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)
- सरकार महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अपने खर्च और कर नीति में बदलाव कर सकती है, जिससे महंगाई नियंत्रित होती है।
- अगर सरकार ज्यादा खर्च कर रही है, तो वह खर्च को कम करके भी मांग को नियंत्रित कर सकती है।
- सरकार कुछ आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स भी घटा सकती है ताकि उनकी कीमतें कम हों सकें।
- खाद्य पदार्थों और ईंधन पर सरकार गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को राहत प्रदान कर सकती है।
- आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाना
- उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों और उद्योगों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।
- जमाखोरी और कालाबाजारी पर सख्ती से रोक लगाने की आवश्यकता है।
- आवश्यक वस्तुओं की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
- विदेशी व्यापार नीति (Trade Policy)
- यदि बाजार में किसी वस्तु की कमी से उसकी कीमत बढ़ रही है, तो सरकार उसे बाहर से आयात करके कीमत स्थिर कर सकती है।
- यदि किसी वस्तु का अधिक निर्यात हो रहा है और घरेलू बाजार में उसकी कीमत बढ़ रही है, तो सरकार उस पर प्रतिबंध लगा सकती है ताकि वस्तु देश से बाहर ज्यादा न जा सके।
- जमाखोरी और मुनाफाखोरी पर नियंत्रण
- काला बाज़ारी और जमाखोरी को रोकने के लिए सख्त कानून बने जाने की आवश्यकता हैं।
- अधिक पारदर्शिता के लिए डिजिटल लेन-देन और ई-मार्केटिंग को बढ़ावा दिया जा सकता है।
- वस्तु एवं सेवा कर (GST) में संतुलन
- सरकार को आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी को कम रखना चाहिए ताकि उनकी कीमतें नियंत्रण में रहें।
- सरकार को अनावश्यक वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाकर गैर-ज़रूरी खर्च को सीमित करना चाहिए।
- रोजगार और आय वृद्धि
- लोगों की आय बढ़े ताकि महंगाई का असर कम हो सके।
- स्वरोजगार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
सरकार के इन उपायों को अपनाने से महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, हर देश की आर्थिक स्थिति के अनुसार नीतियां को अलग-अलग अपनाया जा सकता है।