रूस भारत तेल डील, भारत की अर्थव्यवस्था, तेल की कीमतें

पुतिन ने कहा, रूस से तेल खरीदने पर भारत को मिलेगी 5 प्रतिशत की छूट, ट्रंप टैरिफ विवाद के बीच रूस के राष्ट्रपति ने किया एलान। जाने विस्तार से। Always Right ओर Wrong.

रूस ने कहा कि भारत को रूसी कच्चे तेल पर करीब 5% की छूट दी जाएगी, यूक्रेन जंग के बाद, रूस से बढ़ा भारत का तेल आयात:-

भारत ऊर्जा की खपत करने वाले देशों की सूची में तीसरे स्थान पर है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, जनसंख्या और औद्योगिक विकास के कारण भारत की तेल और गैस पर निर्भरता लगातार तेजी से बढ़ रही है। भारत अपनी जरूरत का लगभग 85% कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में कोई भी उतार-चढ़ाव भारत की अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं पर सीधा असर डालता है। हाल ही में रूस ने कहा है कि भारत को रूसी कच्चे तेल पर करीब 5% की छूट दी जाएगी। यह कदम विशेष रूप से उस पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण दिखता है जब फरवरी 2022 से रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है और पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं।

रूस ने भारत को तेल पर दी 5 % की छूट।

रूस-भारत ऊर्जा संबंधों का ऐतिहासिक परिदृश्य:-

भारत और रूस दशकों से ऊर्जा क्षेत्र में एक-दूसरे का सहयोग करते रहे हैं। सोवियत संघ के समय से ही रूस भारत का रणनीतिक साझेदार बनकर रहा है। साल 2000 के दशक के बाद जब भारत की ऊर्जा आवश्यकताएँ तेज़ी से बढ्ने लगी तो रूस ने ऊर्जा आपूर्ति में एक महत्वपूर्ण भूमिका भारत के लिए निभाई। रूस विश्व के सबसे बड़े कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादकों में शामिल हो चुका है।

भारत की कई कंपनियाँ, जैसे कि ONGC, रूस में तेल और गैस प्रोजेक्ट्स में बड़े स्तर पर निवेश कर चुकी हैं। साथ ही, रूस ने हमेशा भारत को स्थिर और भरोसेमंद आपूर्ति की गारंटी भी दी हुई है। यही कारण है कि भारत ऊर्जा आयात में रूस को एक विश्वसनीय साझेदार भी मानता है।

भारत का रूस के साथ बढ़ता तेल आयात:-

रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से बहुत कम तेल आयात किया करता था। वर्ष 2021 तक रूस भारत के कुल तेल आयात का मात्र 1 से 2% हिस्सा ही था। लेकिन वर्ष 2022 के बाद यह आंकड़ा तेज़ी से बढ़ा।

  • साल 2022 के अंत तक, रूस भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया था।
  • साल 2023 में, भारत के कुल तेल आयात का 35% से अधिक हिस्सा रूस से ही आया था।
  • साल 2024 में, भारत रूस से प्रतिदिन लगभग 1.6 मिलियन बैरल कच्चा तेल आयात कर रहा है।

इससे भारत को न केवल ऊर्जा सुरक्षा मिली हुई है, बल्कि वैश्विक महंगाई के दौर में अपेक्षाकृत सस्ता ऑयल भी भारत के लिए उपलब्ध हुआ।

रूस ने भारत को तेल पर दी 5 % की छूट।

रूस द्वारा 5% की छूट का महत्व:-

रूस ने हाल ही में कहा कि भारत को भविष्य में उसके कच्चे ऑयल पर लगभग 5% की अतिरिक्त छूट दी जाएगी। इसका महत्व कई स्तरों पर लागू होता है –

  1. भारत पहले से ही रूस से अपेक्षाकृत सस्ता ऑयल खरीद रहा था। अतिरिक्त छूट से भारत को अरबों डॉलर की बचत भी होगी।
  2. भारतीय रिफाइनरियाँ जैसे IOC, BPCL, Reliance और Nayara Energy इस सस्ते ऑयल को खरीदकर परिष्कृत उत्पाद (डीजल, पेट्रोल) आदि बनाती हैं और फिर उन्हें घरेलू बाजार के साथ निर्यात भी कर रही हैं।
  3. सस्ते ऑयल से भारत में पेट्रोलियम उत्पादों की लागत पर तेजी से दबाव कम होता है, जिससे महंगाई को काबू करने में भी मदद मिलती है।
  4. यह छूट रूस-भारत संबंधों को और अधिक मजबूत बनाती है।

भारत के लिए चुनौतियाँ:-

हालाँकि भारत को सस्ते ऑयल से बहुत लाभ मिला है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने हैं –

  1. पश्चिमी देशों ने रूसी ऑयल ढोने वाले जहाजों और बीमा कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं।
  2. कुछ रूसी ऑयल भारतीय रिफाइनरियों के लिए तकनीकी रूप से काफी चुनौतीपूर्ण है, लेकिन कंपनियों ने धीरे-धीरे अनुकूलन पर ज्यादा ध्यान दिया है।
  3. अमेरिका और यूरोप से लगातार दबाव बढ़ रहा है कि भारत रूस से आयात को कम करे।
  4. अगर युद्ध लंबे समय तक चलता रहा तो वैश्विक बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी।
रूस ने भारत को तेल पर दी 5 % की छूट।

https://hindi.webdunia.com/national-hindi-news/how-much-does-india-benefit-from-buying-russian-oil-know-what-report-says-125082800059_1.html

इसका निष्कर्ष:-

रूस द्वारा भारत को क्रूड ऑयल पर 5% की छूट देना केवल आर्थिक लाभ मात्र नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच गहराते रणनीतिक संबंधों का भी संकेत है। यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक ऊर्जा बाजार को पूरी तरह से बदल दिया है। भारत ने इस स्थिति को अपने हित में इस्तेमाल करते हुए रूस से बड़े पैमाने पर सस्ता तेल भी खरीदा। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़े स्तर पर राहत मिली, महंगाई पर नियंत्रण भी देखने को मिला और रिफाइनिंग उद्योग को भी मजबूती मिली।

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हालाँकि भविष्य में चुनौतियाँ भी काफी हैं – पश्चिमी दबाव, परिवहन और भुगतान प्रणाली की जटिलताएँ तथा युद्ध की अनिश्चितता भारत के लिए सिरदर्द भी बनी रहेंगी। फिर भी, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि उसकी प्राथमिकता अपने नागरिकों और अर्थव्यवस्था की ऊर्जा सुरक्षा भी प्रदान करता है। रूस के साथ यह समझौता इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले वर्षों में भारत की ऊर्जा रणनीति को गहराई से प्रभावित भी करेगा।

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