पश्चिम बंगाल हिंसा
पश्चिम बंगाल हिंसा:-
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दे हैं। इस पर विस्तार से बात करते समय ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांप्रदायिक पक्षों को समझना बेहद ज़रूरी है। मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा, बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति, उनके विरुद्ध होने वाले अत्याचार और इन घटनाओं के व्यापक प्रभावों पर विस्तार से बात करेंगे।

1. मुर्शिदाबाद की हिंसा का संक्षिप्त विवरण:-
पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद एक ज़िला है जो बांग्लादेश की सीमा से लगा हुआ है। इस जिले की आबादी धार्मिक रूप से विविध है, इस जिले में मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है। हाल की हिंसा की घटनाएँ जिसमें कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि कुछ हिंदू समुदायों को मुस्लिम समुदाय के द्वारा निशाना बनाया गया, दुकानों और घरों को आग लगा दी गई जिस कारण धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाली घटनाएँ सामने आईं।
राज्य सरकार और मुख्यधारा मीडिया ने इन घटनाओं को साम्प्रदायिक नहीं बल्कि स्थानीय विवाद बताया, कई स्वतंत्र सोशल मीडिया रिपोर्ट्स ने इसे हिंदू समुदाय के विरुद्ध योजनाबद्ध तरीके से हिंसा कहा। लेकिन यह भी जानना ज़रूरी है कि किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले सभी पक्षों की जानकारी और प्रमाणों की अच्छे से जाँच कर ली जाए।
2. बांग्लादेश में हिंदुओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर एक नजर:-
वर्ष 1971 में बांग्लादेश, पाकिस्तान से स्वतंत्र होकर अलग राष्ट्र बना। वर्ष 1971 के समय वहाँ की आबादी में लगभग 20-25% हिंदू थे, जो अब घटकर सिर्फ 7-8% रह गए हैं। बांग्लादेश का संविधान एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने की बात करता है, लेकिन व्यवहार में यह स्थिति देखने में हमेशा एक समान नहीं रही।
इसके महत्वपूर्ण ऐतिहासिक बिंदु:-
- वर्ष 1971 के युद्ध का समय:- लाखों हिंदू पूर्वी पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश है, से भारत आए क्योंकि उन्हें धार्मिक आधार पर निशाना बनाया गया था।
- वर्ष 1990 और 2001 में चुनावों के बाद का समय:- बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंदुओं पर हमले किए गए।
- वर्ष 2013-2016 का समय:- शाहबाग आंदोलन के बाद के समय जब जमात-ए-इस्लामी के समर्थकों द्वारा कई हिंदू मंदिरों और घरों पर हमले किए गए थे।
- वर्ष 2021 की दुर्गा पूजा हिंसा:- सोशल मीडिया पर झूठी अफवाह फैलाने के बाद कई पूजा पंडालों, मंदिरों और हिंदू घरों पर हमले किए गए।
3. बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों के प्रमुख कारण:-
(1) धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरवाद का होना
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों में कुछ इस्लामी कट्टरपंथी संगठन जैसे हिज़्बुत तहरीर, जमात-ए-इस्लामी और अंसारुल्ला बंगला टाइगर का हाथ सामने आया। ये इस्लामिक संगठन अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं को दूसरा या शत्रु मानते हैं।
(2) राजनीतिक हित को साधना और वोट बैंक की राजनीति करना
कुछ स्थानीय राजनीतिक दलों पर यह भी आरोप लगता है कि वे बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी को खुश करने के लिए और उनका वोट लेने के लिए अल्पसंख्यकों की अनदेखी करते रहे हैं। कई बार ऐसा भी हुआ जब हिंदुओं की जमीन, व्यापार या संपत्ति पर कब्जा किया गया और झूठे आरोप लगाकर उन्हें डराया गया साथ ही उनका धर्म भी परिवर्तन कराया गया।
(3) अफवाहें और सोशल मीडिया की भूमिका होना
पिछले कुछ वर्षों में फेसबुक, व्हाट्सएप आदि पर धार्मिक भावनाएं भड़काने वाली पोस्ट तेजी से फैली हैं। जैसे वर्ष 2021 की दुर्गा पूजा हिंसा के समय एक मुस्लिम युवक ने कुरान की कथित अपमानजनक तस्वीर वायरल होने की अफवाह को फैलाया, जिससे व्यापक हिंसा भड़क उठी।
(4) न्याय व्यवस्था की कमजोरी होना
हिंदुओं पर हुए हमलों के बाद दोषियों को सज़ा न मिलना भी बार बार हिंसा होने का एक बड़ा कारण है। अक्सर हिंदू पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पता है, जिससे हमलावरों का मनोबल भविष्य के लिए बढ़ता है।
4. इन हमलों का हिंदू समुदाय पर कितना प्रभाव
(1) जनसंख्या में तेजी से गिरावट आना
1947 में बांग्लादेश की कुल आबादी का लगभग 30% हिंदू थे, जो अब घटकर 7-8% रह गए हैं। यह गिरावट केवल जन्मदर से नहीं, बल्कि लगातार पलायन, हिंसा और भेदभाव के कारण हुई है।
(2) हिंदुओं का सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार होना
बांग्लादेश में हिंदू व्यापारियों और किसानों को स्थानीय स्तर पर कई बार बहिष्कार का सामना करना पड़ा। मंदिरों को भी काफी नुकसान पहुंचाया गया, धार्मिक जुलूसों पर हमला किया गया आदि बहुत से काम हिंदुओं के खिलाफ आम हो गए।
5. इन अत्याचारों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की भूमिका कितनी
बांग्लादेश की सरकार ने हर बार हिंदुओं पर हुए हमलों की निंदा की, लेकिन ज़मीनी स्तर पर सरकार द्वारा की गयी कार्यवाही अक्सर कमजोर रही। भारत ने अक्सर इन मुद्दों को द्विपक्षीय बातचीत में भी उठाया है, लेकिन देखा जाये तो कूटनीतिक दबाव सीमित ही रहा।
निष्कर्ष
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले केवल स्थानीय घटनाएँ नहीं हैं, ये एक व्यापक सामाजिक और सांस्कृतिक संकट की ओर भी इशारा करते हैं। धार्मिक कट्टरता, राजनीतिक स्वार्थ और न्यायिक उदासीनता के कारण ने भी इन हमलों को बढ़ावा दिया है। ऐसे समय में न केवल सरकारों बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह धार्मिक सहिष्णुता, संवाद और मानवता को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दे।