पाकिस्तान में आतंकवाद
पाकिस्तान का संक्षिप्त परिचय:-
पाकिस्तान का सम्पूर्ण इतिहास जटिल, बहुआयामी और गंभीर घटनाओं से भरा पड़ा है। यह देश वर्ष 1947 में ब्रिटिश भारत के विभाजन से बना था, लेकिन इसके अस्तित्व में आने के बाद से ही इसमें राजनीतिक अस्थिरता, सैन्य हस्तक्षेप, आतंकवाद और कट्टरपंथ की समस्याएं रही हैं। इस लेख में हम पाकिस्तान के इतिहास, उसके आतंकवाद से जुड़ाव और इसके पीछे के सामाजिक, राजनीतिक तथा रणनीतिक कारणों का विश्लेषण करेंगे।
1. पाकिस्तान का निर्माण (वर्ष 1947):-
इसकी उत्पत्ति भारत के विभाजन के साथ हुई। मुस्लिम लीग के बड़े नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने यह तर्क दिया था कि मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र होना चाहिए क्योंकि उनकी एक अलग कौमी पहचान है। 14 अगस्त 1947 को यह अस्तित्व में आया था। पाकिस्तान को दो हिस्सों में बांटा गया था; 1. पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) 2. पूर्वी पाकिस्तान (जो 1971 में बांग्लादेश के रूप में बना था)।
भारत और पाकिस्तान का विभाजन बेहद रक्तरंजित और दर्दनाक रूप से हुआ था। लाखों लोगों की जान चली गई थी और करोड़ों को एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए विस्थापित होना पड़ा। इस नए देश की नींव ही धार्मिक आधार पर रखी गई थी, जिससे इसकी सामाजिक और राजनीतिक दिशा पर कट्टरपंथी विचारों का गहरा असर पड़ा था।
2. प्रारंभिक राजनीतिक अस्थिरता का होना:-
वर्ष 1947 में इसके बनने के बाद वहां स्थिर लोकतंत्र विकसित नहीं हो सका। जिन्ना की वर्ष 1948 में मृत्यु के बाद नेतृत्व का संकट पैदा होने लगा था। वर्ष 1958 में पहली बार सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। इसके बाद सैन्य शासन इसकी राजनीति में एक स्थायी अंग बन गया था।
पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और कमजोर लोकतांत्रिक संस्थाओं ने आतंकवाद को पनपने का भरपूर मौका दिया। सेना और खुफिया एजेंसी ISI का पाकिस्तान में बढ़ता प्रभाव; देश की नीति और आंतरिक राजनीति को नियंत्रित करने लगा।
3. भारत विरोध और स्ट्रैटजिक डेप्थ की नीति बनाना:-
भारत वर्ष 1947 से ही इसके लिए एक शत्रु के रूप में देखा जाता रहा है। जिस कारण कश्मीर को लेकर दोनों देशों के बीच कई युद्ध हुए। इसकी सेना और ISI ने इसे सामरिक गहराई के रूप में उपयोग करने का हमेशा प्रयास किया।
4. इसमें अफगान जिहाद और आतंकवाद को बढ़ावा:-
वर्ष 1979 में सोवियत संघ के अफगानिस्तान पर आक्रमण किया और अफगानिस्तान को अपने कब्जे में ले लिया। रूस को अफगानिस्तान से भागने के लिए अमेरिका और सऊदी अरब ने इसको जिहाद का केंद्र बना दिया और अमेरिका ने इसके ज़रिए मुजाहिद्दीनों को बड़े स्तर पर हथियार, प्रशिक्षण और धन मुहैया कराया था। इसकी खुफिया एजेंसी ISI ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए कई मदरसों और आतंकी संगठनों को भरपूर समर्थन दिया। यही जिहादी आगे चलकर तालिबान, अल-कायदा और अन्य कट्टरपंथी संगठनों में बदल गए। इसने धीरे-धीरे वैश्विक आतंकवाद का अड्डा बन गया।
5. अमेरिका में 9/11 हमला और इसकी दोहरी नीति:-
वर्ष 2001 में अमेरिका पर हुए 9/11 हमलों के बाद इसने आतंक के खिलाफ युद्ध में अमेरिका का साथ देने की दिखावटी घोषणा की, लेकिन वास्तव में इसके द्वारा दोहरी नीति अपनाई गई। एक तरफ इसने अमेरिका से आतंकवाद को खत्म करने के लिए सहायता लेता रहा, दूसरी ओर उसने अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूहों को धन देकर मजबूत भी किया। इसकी इस दोहरी नीति के कारण अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का धीरे-धीरे पाकिस्तान से विश्वास उठने लगा। ओसामा बिन लादेन का एबटाबाद, इसमें बुरी तरह मारा जाना इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण था कि इसमें आतंकवादियों को हर तरह से शरण मिल रही थी।
6. इसमें घरेलू आतंकवाद और तालिबानीकरण:-
वर्ष 2000 के दशक में इसको खुद भी आतंकवाद की आग में जलना पड़ा। तहरीक-ए-तालिबान (TTP) जैसे संगठनों ने इसके अंदर आतंकी हमले करने शुरू किए। वर्ष 2014 में पेशावर के एक स्कूल पर हुए हमले में लगभग 140 से अधिक मासूम बच्चों की मौत हो गई जिसने पूरे देश को झकझोर दिया था।
7. पड़ोसी देश पर अंतरराष्ट्रीय दबाव और FATF की काली सूची मे जाना:-
इसकी आतंकवाद के प्रति बढ़ती सहानुभूति ने उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग कर दिया। FATF ने इसको ग्रे लिस्ट में डाल दिया था और कई बार ब्लैकलिस्ट करने की भी चेतावनी दी थी। इसने दिखावे के लिए मजबूरी में कुछ कार्रवाइयाँ कीं, लेकिन उनका स्थायी प्रभाव कुछ नहीं रहा।
8. पड़ोसी देश की वर्तमान स्थिति:-
वर्तमान समय में, यह देश एक गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार बहुत कम है, महंगाई चरम स्तर पर है और राजनीतिक अस्थिरता अब भी जारी है। इमरान खान की सरकार गिरने के बाद, सैन्य शासन का प्रभाव और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमले देश को लगातार अस्थिर बना रहे हैं।
इसका निष्कर्ष: आतंक का अड्डा क्यों बना हुआ पाकिस्तान?
पड़ोसी देश के आतंक का अड्डा बनने के कुछ मुख्य कारण हैं:
- धार्मिक आधार पर राष्ट्र का निर्माण होना, जिससे कट्टर सोच को हमेशा बढ़ावा ही मिला।
- इसकी सेना और खुफिया विभाग ISI का राजनीतिक व नीति निर्धारण में अत्यधिक हस्तक्षेप होना।
- इसके द्वारा भारत और अफगानिस्तान के विरुद्ध प्रॉक्सी वॉर की नीति अपनाना।
- इसको अमेरिकी सहायता से अफगान जिहाद को समर्थन और मदरसों का जाल फैलाना।
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