भारत पाकिस्तान संबंध
भारत पाकिस्तान संबंध (1947-2025):-
भारत में फैले पाकिस्तान के जासूसों की मौजूदगी एक जटिल और बहुस्तरीय मुद्दा है, जिसमें राजनीतिक, आर्थिक और तकनीकी प्रकार के कई कारक शामिल हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई लंबे समय से भारत में जासूसी गतिविधियों में संलिप्त रही है।

1. दोनों देशों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भारत-पाकिस्तान संबंध:-
भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1947, बँटवारे के साल से ही शत्रुतापूर्ण संबंध रहे हैं। दोनों देशों के बीच बंटवारे के बाद से अब तक चार युद्ध हो चुके हैं। साथ ही कश्मीर मुद्दा, आतंकवाद और सरहदी टकराव ने दोनों देशों के रिश्तों को और अधिक पेचीदा बना दिया है। भारत को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तान की आईएसआई ने लंबे समय से जासूसी, आतंकवाद और साइबर हमलों जैसे अवांछित तरीकों का उपयोग किया है। यह भारत के खिलाफ एक प्रॉक्सी वॉर की रणनीति का एक भाग है।
2. भारत को अस्थिर करने के लिए जासूसी नेटवर्क और भर्ती के तरीके:-
भारत में जासूसी के लिए पाकिस्तान द्वारा विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता रहा है; जैसे:-
(क) मानव जासूसी:-
मानव स्रोतों को भर्ती करने के लिए आईएसआई भारत के भीतर निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाती है:
- धोखे और लालच के साथ भर्ती: आईएसआई ज़्यादातर आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को पैसे, सुरक्षा या विदेश यात्रा का लालच देकर भर्ती करती है।
- हनी ट्रैप में फसाना: जासूसी करने का यह एक प्रमुख तरीका है जिसमें महिला एजेंट सोशल मीडिया या अन्य दूसरे माध्यमों से लक्षित भारतीय पुरुषों से दोस्ती करती हैं और उन्हें गोपनीय जानकारी देने के लिए बहकाती या दबाव डालती हैं।
- जासूसी के लिए सैनिकों और सरकारी कर्मचारियों को मुख्य रूप से निशाना बनाना: मानव जासूसी के लिए रक्षा क्षेत्र, रेलवे, टेलीकॉम या खुफिया विभागों में कार्यरत लोगों को भी बड़े स्तर पर टारगेट किया जाता है।
(ख) साइबर जासूसी करना और तकनीकी खुफिया:-
आज के डिजिटल युग में आईएसआई साइबर माध्यमों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करती है:
- सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को अपनी ओर प्रभावित करना।
- फिशिंग ईमेल्स और स्पाइवेयर ऐप्स को माध्यम बनाकर मोबाइल डिवाइसेज़ से जानकारी चुराना।
- देश की संवेदनशील वेबसाइटों पर साइबर हमले करना।
3. समाज में पैठ बनाना और स्थानीय मदद देना:-
भारत के कुछ क्षेत्रों में मौजूद पाकिस्तानी एजेंसियाँ असंतोष, जातीय तनाव, अलगाववादी सोच को बढ़ावा देकर उसका फायदा उठाकर स्थानीय मदद हासिल करती हैं। उदाहरण के तौर पर:-
- भारत के कश्मीर और सीमावर्ती क्षेत्रों में अलगाववादी ताकतों को समर्थन देना।
- भारत में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के नेटवर्क का इस्तेमाल करना।
- भारत में अवैध मोबाइल नेटवर्क और सिम कार्डों का दुरुपयोग करना।
4. आसान लक्ष्यों की पहचान करना:-
भारत एक विशाल और विविधताओं से भरा देश है, जहाँ जानकारी का प्रवाह आसानी से और कभी-कभी असुरक्षित भी होता है। जिस कारण पाकिस्तान को जासूसी के लिए संभावित लक्ष्यों की कोई कमी नहीं होती:-
- हमारे देश में ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा ढांचे की सीमाएं होना।
- हमारे देश में तकनीकी सुरक्षा की कमी, विशेषकर छोटे सरकारी दफ्तरों में जिस कारण वे कभी कभी अपने लक्ष्य में सफल हो जाते हैं।
- हमारे देश में बढ़ती मोबाइल और इंटरनेट यूज़र्स की अज्ञानता, जिस करना गलत लोग इसका लाभ उठा ले जाते हैं।
5. भारत में राजनीतिक और रणनीतिक मकसद:-
पाकिस्तान जो हमारे देश में लगातार जासूसी के कार्यों में लगा हुआ है उसका उद्देश्य केवल जानकारी हासिल करना नहीं, बल्कि हमारे देश को आंतरिक रूप से अस्थिर करने की दीर्घकालिक योजना का भी हिस्सा है:
- हमारे देश में सैन्य तैयारियों की जानकारी को इकट्ठा करना।
- हमारे देश में सांप्रदायिक तनाव को भड़काना।
- हमारे देश में आतंकी हमलों के लिए अपनी ज़मीन तैयार करना।
- हमारे देश की वैश्विक छवि को भारी नुकसान पहुँचाना भी शामिल है।
6. जासूसों के प्रमुख उदाहरण:-
इंडिया ने कई बार पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाले लोगों को पकड़ा है। कुछ प्रमुख उल्लेखनीय घटनाएँ:
- वर्ष 2016 में इंडिया की नौसेना के एक पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था। जिसे भारत खंडित कर दिया था।
- पिछले दिनों हमारे देश की सेना और रेलवे विभाग से जुड़े कई कर्मचारी हनी ट्रैप के जाल में फँसकर संवेदनशील जानकारी साझा करते पकड़े गए।
- वर्ष 2020 में राजस्थान से एक पाकिस्तानी महिला एजेंट को गिरफ्तार किया गया था, जो कई सैनिकों से जानकारी इकट्ठा कर रही थी।
निष्कर्ष:-
इंडिया में पाकिस्तानी जासूसों का होना एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती है। इसका मुख्य कारण सिर्फ पड़ोसी देश की गलत नीतियाँ नहीं हैं, बल्कि आंतरिक कमजोरियाँ, बढ़ती साइबर असुरक्षा और सामाजिक असंतोष का पनपना भी शामिल है। भविष्य में इस खतरे से निपटने के लिए सरकार, सुरक्षा एजेंसियाँ और आम नागरिक आदि सभी को सतर्क और जिम्मेदार होना पड़ेगा। इंडिया की अखंडता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयास करने और आधुनिक रणनीतियाँ बनाए रखने की आवश्यक है।
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