भारत में बढ़ता मोटापा
एक तिहाई भारतीय वर्ष 2050 तक होंगे मोटापे के शिकार:-
प्रस्तावना:-
भारत; जो कभी भूख की समस्याओं से जूझता रहा है, अब मोटापा की गंभीर स्वास्थ्य संकट की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हाल ही में जारी हुई एक रिपोर्टों के अनुसार, वर्ष 2050 तक भारत की लगभग एक तिहाई आबादी मोटापे से पीड़ित हो सकती है। यह न केवल एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट होगा, बल्कि इसके सामाजिक, आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव होंगे।

मोटापा की परिभाषा:-
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मोटापा की समस्या तब होती है जब शरीर में अत्यधिक वसा की मात्र जमा होने लगती है जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसे मुख्य रूप से बॉडी मास इंडेक्स के आधार पर भी मापा जाता है। अगर किसी व्यक्ति का BMI 25 से अधिक है तो उसे अधिक वजन और 30 की उम्र से ऊपर होने पर मोटापा होने की श्रेणी में माना जाता है।
भारत में मोटापे की स्थिति पर एक नजर:-
भारत में मोटापे की समस्या पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है। वर्ष 1990 के दशक तक कुपोषण एक प्रमुख समस्या थी, वहीं दूसरी ओर 21वीं सदी के दो दशकों में मोटापा एक महामारी बन गया है। शहरी क्षेत्रों में यह समस्या काफी तेजी से बढ़ी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में भी धीरे धीरे यह समस्या बढ़ रही है। देखा जाये तो बच्चों और किशोरों में भी मोटापा चिंता का विषय बन चुका है।
साल 2050 तक लगभग एक तिहाई भारतीयों का मोटापे से पीड़ित होने का कारण:-
- बदलती दिनचर्या:-
- आधुनिक जीवनशैली और तकनीकी युग में शारीरिक श्रम कम होता जा रहा है।
- तकनीकी युग में ऑफिसों में बैठे-बैठे काम करने का चलन बढ़ा है।
- वाहनों के युग में लोगो ने चलना-फिरना कम कर दिया है और लोग ज्यादा से ज्यादा समय स्क्रीन पर ही बिता रहे हैं।
- अनुचित खान-पान की वजह:-
- बढ़ते फास्ट फूड, प्रोसेस्ड फूड और शक्कर युक्त पदार्थों का ज्यादा सेवन।
- संतुलित आहार न लेकर अस्वस्थ भोजन का सेवन।
- भोजन में रेशेदार/तरल पदार्थों को न लेना।
- मानसिक तनाव लेना और नींद की कमी होना:-
- अत्यधिक मानसिक तनाव होना, अवसाद और अनिद्रा भी मोटापे को बढ़ाते हैं।
- नींद कम लेने से हार्मोनल असंतुलन होते हैं जो हमारी भूख को बढ़ाते हैं।
- जीन और अनुवांशिक कारणों का होना:-
- बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं, जिनमे मोटापे की प्रवृत्ति वंशानुगत होती है, लेकिन इसे मुख्य कारण नहीं कहा जा सकता।
- शारीरिक गतिविधियों में कमी होना:-
- बच्चों और युवाओं में कम होता खेल-कूद।
- लोगों में शारीरिक व्यायाम की अनदेखी होना।
- प्रचार और विज्ञापन का बढ़ता प्रभाव:-
- सोशल मीडिया और टीवी पर बढ़ते जंक फूड के आकर्षक विज्ञापन बच्चों और युवाओं को अपनी ओर आकर्षित प्रभावित करते हैं।
मोटापा का प्रभाव:-
1. स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव:-
- मोटापा होने वाली कई बीमारियों की जड़ है जैसे:
- डायबिटीज (टाइप-2) होना।
- हाई ब्लड प्रेशर होना।
- हृदय रोग होना।
- सांस लेने की समस्याएँ बढ़ना।
- कैंसर के कुछ प्रकार, जो खतरनाक है।
- मोटापे के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है जिस कारण संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
2. मानसिक स्वास्थ्य पर होने वाला प्रभाव:-
- मोटापे के कारण पीड़ित लोग अक्सर अवसाद, आत्मग्लानि और आत्मसम्मान की कमी से जूझते रहते हैं।
- मोटापे के शिकार लोगों में समाजिक बहिष्कार और बदनामी की वजह से मनोवैज्ञानिक तनाव बढ़ता है।
3. आर्थिक प्रभाव का कारण:-
- बीमारी के कारण इलाज में अधिक खर्च होना।
- मोटापे के शिकार लोगों में कार्यक्षमता में कमी जिससे उत्पादकता घटती जाती है।
- देश की स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ बढ़ता जाता है।
4. राष्ट्रीय स्तर पर होने वाला प्रभाव:-
- जो देश मोटापा का शिकार होगा उस देश की कार्यबल क्षमता कम होगी।
- भविष्य में भारत की आर्थिक वृद्धि और स्वास्थ्य ढांचे पर मोटापे का प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है।
इसका निष्कर्ष:-
वर्ष 2050 तक भारत की एक तिहाई आबादी मोटापे से पीड़ित होगी जो केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं है, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक संकट भी पैदा करेगा। यह देश के लिए समय की मांग है कि भारत देश को इसे गंभीर समस्या को चिंता के साथ ले और अभी से सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए। देश के प्रत्येक नागरिक को अपने आहार, जीवनशैली और शारीरिक गतिविधियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि हम अभी से सचेत नहीं हुए, तो भविष्य में भारत देश के लिए यह स्थिति साइलेंट एपिडेमिक का रूप ले सकती है। जो देश के विकास में बड़ी बाधा बनेगी।