भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफ़टीए

भारत-यूरोपीय संघ (EU) के बीच व्यापार समझौता निर्णायक मोड़ की ओर, अहम बैठकों का दौर शुरू, पांच दिन भारत में रहेंगे 25 से अधिक राजदूत। Always Right or Wrong.

भारत और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत फिर शुरू हुई:-

भारत और यूरोपीय संघ यानि EU के बीच मुक्त व्यापार समझौते यानि Free Trade Agreement यानि FTA पर बातचीत लंबे समय से टलती आ रही है, लेकिन हाल के वर्षों में बदलते वैश्विक आर्थिक परिदृश्य और भू-राजनीतिक परिस्थितियों ने इस वार्ता को नई गति प्रदान कर दी है। भारत और EU, दोनों ही वैश्विक अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण खिलाड़ी रहे हैं। ऐसे में उनके बीच व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए होने वाला समझौता न केवल दोनों के लिए लाभकारी होगा, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक संकेत देगा।

भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफ़टीए

भारत और यूरोपीय संघ ने 2007 में पहली बार “Broad-based Trade and Investment Agreement पर बातचीत शुरू की थी। उद्देश्य था कि वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और बौद्धिक संपदा के क्षेत्रों में व्यापारिक बाधाओं को कम किया जाए और बाजार की पहुँच को बेहतर बनाया जाए। लेकिन विभिन्न मुद्दों जैसे – कृषि उत्पादों पर टैरिफ, ऑटोमोबाइल सेक्टर, शराब व मदिरा उत्पादों पर कर, डेटा सुरक्षा मानक और निवेश संरक्षण पर सहमति नहीं बन सकी।

लगभग एक दशक तक बातचीत ठप रही। हालांकि, वैश्विक परिदृश्य में हुए बदलाव, विशेषकर ब्रेक्सिट के बाद EU का भारत जैसे बड़े बाजारों की ओर झुकाव और भारत की “आत्मनिर्भर भारत” व “मेक इन इंडिया” नीति ने दोनों पक्षों को फिर से करीब लाया। 2021 में बातचीत को दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी और अब 2023-24 में इसे तेज़ गति देने के संकेत मिले हैं।

भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफ़टीए

भारत और यूरोपीय संघ के बीच वर्तमान व्यापारिक संबंध

  • यूरोपीय संघ भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2022-23 में भारत और यूरोपीय संघ के बीच लगभग 130 अरब अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ।
  • भारत EU को वस्त्र, रसायन, मशीनरी, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, आईटी सेवाएं और कृषि उत्पाद निर्यात करता है। EU से भारत में मशीनरी, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स, उन्नत तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाली शराब का आयात होता है।
  • EU भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का एक बड़ा स्रोत है। 2000 से अब तक भारत को मिलने वाले कुल FDI का लगभग 25% यूरोपीय देशों से आया है।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफ़टीए

मुक्त व्यापार समझौते का कितना महत्व:-

(क) भारत के लिए लाभ:-

  1. भारतीय वस्त्र, चमड़ा, जेम्स-एंड-ज्वेलरी और कृषि उत्पादों को EU बाजार में कम टैरिफ पर प्रवेश मिलेगा।
  2.  IT, फिनटेक, ई-कॉमर्स और प्रोफेशनल सेवाओं के लिए बड़ा यूरोपीय बाजार खुलेगा।
  3. यूरोप से भारत में हाई-टेक्नोलॉजी, ग्रीन एनर्जी, ऑटोमोबाइल और फार्मा सेक्टर में निवेश बढ़ सकता है।
  4. EU की तकनीकी विशेषज्ञता और भारत की मानव संसाधन क्षमता मिलकर विनिर्माण (manufacturing) को गति देगी।

(ख) EU के लिए लाभ:-

  1.  1.4 अरब की आबादी और तेजी से बढ़ता मिडिल क्लास यूरोपियन कंपनियों के लिए बड़ा अवसर है।
  2. चीन पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने के लिए भारत एक विश्वसनीय साझेदार साबित हो सकता है।
  3. नवीकरणीय ऊर्जा, कार्बन-न्यूट्रल टेक्नोलॉजी और सतत विकास में भारत के साथ सहयोग यूरोपीय संघ की रणनीति के अनुकूल है।
  4. भारत के साथ आर्थिक साझेदारी से यूरोपीय संघ को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक उपस्थिति मजबूत करने का मौका मिलेगा।

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भू-राजनीतिक आयाम पर एक नजर:-

FTA केवल आर्थिक नहीं बल्कि सामरिक दृष्टि से भी अहम है।

  • यूरोपीय संघ और भारत दोनों ही चीन पर निर्भरता कम करना चाहते हैं।
  • ऊर्जा संकट और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान ने नए साझेदार खोजने की आवश्यकता बढ़ाई है।
  • यूरोपीय संघ इस क्षेत्र में अपनी भूमिका बढ़ाना चाहता है, और भारत इसमें अहम सहयोगी हो सकता है।

संभावित परिणाम पर एक नजर:-

  1. यदि समझौता सफल होता है, तो अगले 5 वर्षों में भारत और यूरोपीय संघ का व्यापार दोगुना हो सकता है।
  2. विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में लाखों रोजगार उत्पन्न हो सकते हैं।
  3. उद्योगों पर प्रभाव –
    • सकारात्मक: टेक्नोलॉजी, आईटी, फार्मा, नवीकरणीय ऊर्जा।
    • नकारात्मक: ऑटोमोबाइल, शराब उद्योग में विदेशी प्रतिस्पर्धा से दबाव।
  4. भारत का वैश्विक छवि निर्माण – यह समझौता भारत को एक विश्वसनीय व्यापारिक साझेदार के रूप में स्थापित करेगा।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफ़टीए

आगे की राह क्या होगी?

भारत और यूरोपीय संघ को “विन-विन” दृष्टिकोण अपनाना होगा। इसके लिए –

  • कृषि और ऑटोमोबाइल सेक्टर में चरणबद्ध रियायतें दी जा सकती हैं।
  • डेटा सुरक्षा और IPR जैसे मुद्दों पर संतुलित समाधान निकालना होगा।
  • श्रम और पर्यावरण मानकों पर भारत को धीरे-धीरे सुधार लागू करना होगा ताकि वह यूरोपीय मानकों के करीब आ सके।

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इसका निष्कर्ष:-

भारत और यूरोपीय संघ का मुक्त व्यापार समझौता दोनों पक्षों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। यह समझौता न केवल व्यापार और निवेश को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन को भी स्थिर और विविध बनाएगा। चुनौतियाँ निश्चित रूप से हैं, लेकिन यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाए, तो यह FTA भारत और EU दोनों को दीर्घकालिक आर्थिक, सामरिक और तकनीकी लाभ पहुँचा सकता है।

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