आईपीएल की शुरुआत करने वाले ललित मोदी लगभग 15 साल पहले भारत से ब्रिटेन भाग गए थे। भारत लगातार उनके प्रत्यर्पण की मांग करता रहा और कानूनी लड़ाई भी लड़ता रहा लेकिन अब उन्होंने भारत की नागरिकता त्यागने का फैसला किया है और जिस देश वानुआतु की नागरिकता उन्होंने ली है, वहां की आबादी पुडुचेरी से भी कम है, जिससे मामले में एक मोड आ गया है। हालांकि, वह अपने ऊपर लगे तमाम मनी लान्ड्रिंग और टैक्स चोरी के आरोपों को खारिज करते आ रहे हैं।
वानुआतु , 80 से अधिक द्वीपों का एक समूह है। इस देश को कभी न्यू हेब्रिड्स के नाम से जाना जाता था। इन द्वीपों ने 1980 में फ्रांस और ब्रिटेन से स्वतंत्रता हासिल की थी।
ये देश इसलिए चर्चा में है क्योंकि ललित मोदी ने वहाँ की नागरिकता हासिल की थी. लेकिन बाद में देश के प्रधानमंत्री ने एक बयान जारी कर कहा था कि वो ललित मोदी को दी गई नागरिकता वापस लेंगे।
वानुअतु के प्रधानमंत्री जॉथम नापत ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि ललित मोदी को जारी पासपोर्ट को रद्द की कार्यवाही शुरू करने के आदेश दिए गए हैं। मुझे बीते 24 घंटे में यह जानकारी मिली कि इंटरपोल ने ललित मोदी को लेकर भारत सरकार की ओर से भेजे गए अलर्ट नोटिस को न्यायिक साक्ष्य के अभाव में दो बार खारिज कर दिया था।
उन्होंने कहा कि मैंने नागरिकता देने वाले आयुक्त को तुरंत प्रभाव से मोदी को जारी किए पासपोर्ट को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है।
बयान में कहा गया है कि ललित मोदी के पासपोर्ट के लिए दी गई अर्ज़ी की गहन जांच की गई थी तथा उस दौरान उनके ख़िलाफ़ किसी अपराध में दोषी पाए जाने के सबूत नहीं मिले थे।
वानुआतु दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित एक छोटा सा देश है। यहां की अर्थव्यवस्था खास तौर पर खेती, टूरिज्म, मछली पकड़ने और विदेशी वित्तीय सेवाओं पर आधारित है। वानुआतु में निवेश आधारित नागरिकता है यानी निवेश कर यहां की नागरिकता हासिल की जा सकती है।
पासपोर्ट की बिक्री यहां की सरकार की आय का प्रमुख स्रोत है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 तक वानुआतु का पासपोर्ट 113 देशों में बिना वीजा के प्रवेश की अनुमति देता है। हेनली पासपोर्ट इंडेक्स के अनुसार, वानुआतु का पासपोर्ट दुनिया में 51वें नंबर पर है (199 देशों में से), जो सऊदी अरब (57), चीन (59) और इंडोनेशिया (64) से ऊपर है। भारत 80वें स्थान पर है। एक और अच्छी बात यह है कि वानुआतु एक टैक्स हेवेन है, जहां आपको ना तो इनकम, संपत्ति या किसी तरह का कार्पोरेट टैक्स ही लगता है. पिछले दो सालों में 30 अमीर भारतीयों ने यहां की नागरिकता हासिल की है और यहां नागरिकता लेने वालों में चीन के लोग सबसे आगे हैं।
अर्थात यदि आप गलत राह पर चल रहे हैं तो आप विश्व में कहीं भी छिप जाएँ आपको परेशानियों का सामना करना ही पड़ेगा, जैसा ललित मोदी को परिशनियाँ झेलनी पड़ रही हैं।