साइबर अपराध पर अंकुश
केंद्र सरकार ने लागू की नई ई-शून्य प्राथमिकी योजना: साइबर अपराधियों की खैर नहीं:-
ई-शून्य एफ़आईआर की भूमिका पर एक नजर:-
आज के डिजिटल युग में तकनीकी विकास जितनी तेज़ी के साथ हुआ है, उतनी ही तेजी के साथ साइबर अपराधों में भी वृद्धि हुई है। बैंकिंग क्षेत्र में धोखाधड़ी, फिशिंग में, सिम स्वैपिंग में, ऑनलाइन ठगी के क्षेत्र में, सोशल मीडिया हैकिंग के क्षेत्र में, आदि इस तरह के अपराध आम हो गए हैं। हैकिंग जैसे अपराधों की पहचान करने और अपराधियों की गिरफ्तारी जल्द से जल्द हो सके, उसके लिए एक सशक्त और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र की आवश्यकता है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ही केंद्र सरकार ने इस ई-शून्य प्राथमिकी (e-Zero FIR) योजना को शुरु किया है। इस योजना के शुरू होने से साइबर अपराधों से निपटने में सहायता मिलेगी।
सरकार की ई-शून्य प्राथमिकी योजना क्या है? :-
केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई ई-शून्य प्राथमिकी योजना जिसके अंतर्गत कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी कोने से ऑनलाइन साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध देश के किसी भी कोने में हुआ हो। पहले नियम के अनुसार, एफआईआर उसी थाने में दर्ज की जाती थी जहाँ अपराध हुआ हो, लेकिन शून्य एफआईआर की अवधारणा ने शिकायत को किसी भी पुलिस थाने में दर्ज करने का नियम है। बाद में उसे संबंधित क्षेत्राधिकार वाले थाने में भी भेजा जा सकता है।
सरकार द्वारा लागू की गयी ई-शून्य प्राथमिकी इसे डिजिटल रूप में क्रियान्वित करता है। अब पीड़ित को थाने की तलास करने, थाने में जाने और लंबी प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

ई-शून्य प्राथमिकी योजना की प्रमुख विशेषताएँ:-
- इसमे ऑनलाइन पोर्टल/ऐप की सुविधा होना:-
केंद्र सरकार ने साइबर अपराधों की जांच के लिए https://www.cybercrime.gov.in नामक पोर्टल की शुरुआत पहले ही करा दी थी। ई-शून्य प्राथमिकी प्रणाली को इसके साथ एकीकृत किया जा रहा है जिससे पीड़ित की रिपोर्ट को सीधे एक डिजिटल प्राथमिकी के रूप में स्वीकार किया जा सके। - इसकी देशव्यापी पहुंच का होना:-
ई-शून्य प्रणाली के माध्यम से भारत के किसी भी हिस्से में रहने वाला कोई भी नागरिक साइबर अपराध की रिपोर्ट बिना किसी भौगोलिक बाधा के दर्ज करा सकता है। - इसमे त्वरित कार्रवाई होना:-
किसी नागरिक की शिकायत मिलते ही उसे संबंधित क्षेत्रीय साइबर थाने को भेज दिया जाएगा जिससे उसकी जांच शीघ्र प्रारंभ हो सके। इससे अपराधियों को पकड़ने में जो ज्यादा समय लगता था उसमे कमी आएगी। - यह सुविधा 24×7 होगी:-
ई-शून्य शिकायत पोर्टल पर किसी भी समय दर्ज की जा सकती हैं। इसका मतलब साफ है कि नागरिकों को थाने के समय या कामकाजी घंटों की चिंता करने की आवश्यकता नहीं होगी। - इसमे ट्रैकिंग सुविधा भी होगी:-
ई-शून्य पोर्टल पर शिकायतकर्ता को एक अलग ट्रैकिंग नंबर दिया जाएगा, जिससे वह अपने द्वारा की गयी रिपोर्ट की स्थिति को ऑनलाइन भी ट्रैक कर सकता है। - इसमे गोपनीयता की सुरक्षा होगी:-
ई शून्य पोर्टल पर खास तौर पर महिलाओं और बच्चों से संबंधित मामलों में गोपनीयता बनाए रखने की प्राथमिकता होगी। रिपोर्टिंग सिस्टम को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि संवेदनशील मामलों में पहचान को हमेशा सुरक्षित रखा जा सके।
देश में ई-शून्य योजना की आवश्यकता क्यों पड़ी? :-
भारत देश में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या लगभग 85 करोड़ से अधिक हो गयी है। इसमे डिजिटल लेन-देन, सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स और वर्चुअल नेटवर्क के बढ़ते उपयोग ने जहां मानव जीवन को सरल बना दिया है, वहीं दूसरी ओर अपराधियों के लिए नए अवसर भी पैदा कर दिए हैं।
बढ़ते साइबर अपराधों के मुख्य प्रकार क्या हैं :-
- बैंक धोखाधड़ी करना।
- सोशल मीडिया अकाउंट को हैक करना।
- सिम स्वैपिंग करना।
- रैनसमवेयर अटैक करना।
- नकली ई-कॉमर्स वेबसाइट्स द्वारा धोखाधड़ी करना।
- डेटिंग ऐप फ्रॉड करना।
- सेक्सटॉर्शन करना।
इन अपराधों का शिकार होने वाला व्यक्ति अक्सर शर्म और जटिल प्रक्रियाओं के कारण शिकायत दर्ज नहीं करा पता, जिससे अपराधी बिना किसी डर के बेखौफ होकर नए शिकार की तलाश में निकाल जाते हैं। ई-शून्य एफआईआर प्रणाली इस डर को समाप्त करेगी और एक सुलभ, आसान और त्वरित प्रक्रिया प्रदान करेगी।
निष्कर्ष
यह योजना डिजिटल भारत के निर्माण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी, जहां तकनीक केवल सरल और सुविधा ही नहीं बल्कि सुरक्षा का मुख्य माध्यम भी बन जाती है।
यदि ई-शून्य योजना की प्रभावी और नियमित निगरानी की जाए, तो यह साइबर अपराधों पर पूरी तरह से रोकथाम लगाने में अत्यंत कारगर सिद्ध हो सकती है। भविष्य में भारत न केवल तकनीकी रूप से उन्नत होगा, बल्कि साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी राष्ट्र बन उभरेगा।