मिजोरम देश का पहला पूर्ण साक्षर राज्य
मिजोरम बना देश का पहला पूर्ण साक्षरता प्राप्त राज्य:-
प्रस्तावना:-
भारत जैसे विविधताओं वाले देश में शिक्षा का महत्व अत्यंत गहरा हुआ है। एक साक्षर समाज या पढ़ा-लिखा समाज न केवल सामाजिक व आर्थिक विकास की नींव विकसित करता है, बल्कि अपने देश के नागरिकों को जागरूक, आत्मनिर्भर और लोकतांत्रिक मूल्यों का वाहक भी बनाता है। ऐसे परिप्रेक्ष्य में देश का कोई राज्य पूर्ण साक्षरता प्राप्त करता है, तो यह केवल उस देश की उपलब्धि नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन जाता है। मिजोरम ने यह गौरव हासिल कर देश का पहला पूर्ण साक्षर राज्य बनने का इतिहास रचा है। यह उपलब्धि उस राज्य की दूरदर्शी नीतियों और प्रयासों का परिणाम है, साथ ही इसके नागरिकों की शिक्षा के प्रति जागरूकता और समर्पण को भी दिखाता है।

मिजोरम का संक्षिप्त परिचय:-
मिजोरम भारत का एक उत्तर-पूर्वी राज्य है, जो म्यांमार और बांग्लादेश से लगी हैं। वर्ष 1987 में इसे पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। प्राकृतिक सौंदर्य, पहाड़ों और हरियाली से परिपूर्ण यह राज्य अपेक्षाकृत बहुत छोटा है और जनसंख्या भी काफी कम है। लेकिन राज्य की भौगोलिक कठिनाइयों और संसाधनों की सीमितता के बावजूद भी मिजोरम ने शिक्षा के क्षेत्र में जो मुकाम हासिल किया है, वह बहुत सराहनीय है।
पूर्ण साक्षरता की संक्षिप्त परिभाषा:-
पूर्ण साक्षरता का अर्थ है कि राज्य की 100% वयस्क आबादी पढ़ने-लिखने में हर तरह से सक्षम हो। भारत में साक्षरता दर को मापने के लिए 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के नागरिकों को ध्यान में रखा जाता है। जब कोई राज्य यह दावा करता है कि उसकी पूरी आबादी पूर्ण रूप से साक्षर है, तो इसका अर्थ होता है कि सभी नागरिक, चाहे वे किसी भी उम्र, वर्ग से हों; बुनियादी पढ़ने-लिखने की क्षमता को बनाए रखते हैं।
मिजोरम की साक्षरता की यात्रा:-
मिजोरम की साक्षरता के लिए यात्रा लंबे समय से चली आ रही थी। स्वतंत्रता के बाद से ही इस राज्य ने शिक्षा को प्राथमिकता दी। यहां मिशनरी स्कूलों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है जिन्होंने प्रारंभिक दौर में शिक्षा का प्रसार किया। इसके अलावा, राज्य सरकार ने कई योजनाएं चलाईं जिनसे स्कूलों तक पहुंच, बच्चों का नामांकन, शिक्षकों की नियुक्ति व शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आया है।
राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अंतर्गत, सर्व शिक्षा अभियान (SSA) और उसके बाद की योजनाओं जैसे समग्र शिक्षा अभियान ने मिजोरम को काफी हद तक मजबूती प्रदान की है। राज्य सरकार ने स्थानीय NGOs, समुदायों और पंचायतों के सहयोग से घर-घर शिक्षा अभियान चलाया। खासकर महिलाओं और वृद्ध लोगों की साक्षरता पर विशेष ध्यान दिया गया।
वे मुख्य कारण जिन्होंने मिजोरम को साक्षर राज्य बनाया:-
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शिक्षा के प्रति सामाजिक जागरूकता बढ़ाना: मिजो समाज के लोग शिक्षा को अत्यंत सम्मानजनक मानते हैं। राज्य के प्रत्येक अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई को विशेष प्राथमिकता देते हैं, चाहे उनकी आर्थिक स्थिति कैसी भी क्यों न हो।
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समुदाय आधारित शिक्षा मॉडल बनाना: राज्य में रह रहे समुदायों और चर्च के संगठनों ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राज्य के स्थानीय चर्चों ने स्कूलों के संचालन और शिक्षा सामग्री के वितरण में सहयोग किया।
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शासन द्वारा सक्रिय भूमिका निभाना: राज्य सरकार ने शिक्षा के बजट को विशेष प्राथमिकता दी हुई है। जो स्कूलों तक अधोसंरचना, किताबें, मिड-डे मील और छात्रवृत्तियों की व्यवस्था को दिखाती है।
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लड़कों और लड़कियों में समान शिक्षा व्यवस्था: मिजोरम राज्य में लिंग के आधार पर शिक्षा में भेदभाव बहुत ही कम है। लड़कियों की साक्षरता दर भी पुरुषों के बराबर या उससे अधिक ही रही है।
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वयस्क शिक्षा कार्यक्रम को बढ़ावा: केवल बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि वयस्कों के लिए भी —– अभियान चलाए हुआ है, जिससे समाज के सभी वर्गों को स्कूल की शिक्षा से जोड़ा जा सका।
राष्ट्रीय संदर्भ में मिजोरम की विशेष उपलब्धि:-
भारत में —– दर लगातार बढ़ रही है, लेकिन अब भी देश के कई राज्य ऐसे हैं जहाँ देश की —– दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। जबकि राष्ट्रीय औसत —– दर लगभग 77.7% के पास (2021 के आंकड़ों के अनुसार) है, मिजोरम की —– दर लगभग 98% से अधिक बताई गई है और अब इसे 100% —– दर वाला राज्य घोषित किया गया है। यह उपलब्धि विशेष रूप से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य प्राकृतिक और भौगोलिक बाधाओं के बावजूद भी यह लक्ष्य हासिल करने में सफल हो पाया है।
निष्कर्ष:-
देश में मिजोरम का पूर्ण —– प्राप्त राज्य बनना न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए गौरव की बात है। यह उपलब्धि हमे दिखाती है कि इच्छाशक्ति और सामाजिक भागीदारी से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता है। मिजोरम की यह साक्षरता यात्रा देश के अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत है कि शिक्षा के क्षेत्र में राज्य द्वारा अगर ठोस योजनाएं बनाई जाएँ और उन्हें जन भागीदारी द्वारा अच्छे से क्रियान्वित किया जाए, तो शिक्षा क्रांति कोई दूर की बात नहीं होगी।