भारत और इज़राइल के बीच समझौता।

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भारत और इज़राइल के बीच हुआ समझौता, बढ़ेगा तेजी से निवेश:- 

भारत और इज़राइल के बीच संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक दृष्टि से हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहे हैं। दोनों देशों ने बीते तीन दशकों में कूटनीतिक, रक्षा, कृषि, विज्ञान-तकनीक और व्यापार के क्षेत्र में गहरी साझेदारी विकसित की है। हाल ही में दोनों देशों के बीच हुए नए समझौते ने निवेश और आर्थिक सहयोग को और मज़बूती देने का मार्ग प्रशस्त किया है। इस समझौते का असर केवल द्विपक्षीय व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भी काफी महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा।

इज़राइल

भारत और इज़राइल के बीच संबंधों का संक्षिप्त इतिहास:-

भारत और इज़राइल के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंध 1992 में स्थापित हुए थे। हालांकि उससे पहले भारत इज़राइल को मान्यता देता था, परंतु कूटनीतिक रिश्तों में दूरी रही। शीतयुद्ध के बाद परिस्थितियाँ बदलीं और दोनों देशों ने रक्षा, कृषि और विज्ञान के क्षेत्रों में सहयोग शुरू किया गया।

  • कृषि के क्षेत्र में सहयोग: इज़राइल की ड्रिप इरिगेशन (बूंद-बूंद सिंचाई तकनीक) और जल प्रबंधन की तकनीक भारत के किसानों के लिए वरदान साबित हुई।
  • रक्षा के क्षेत्र में सहयोग: इज़राइल, भारत का एक प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता है। मिसाइल रक्षा प्रणाली, ड्रोन और राडार तकनीक भारत को मिली है।
  • विज्ञान और तकनीक व स्टार्टअप्स: इज़राइल स्टार्टअप नेशन कहलाता है और भारत के आईटी सेक्टर के साथ उसका जुड़ाव लगातार बढ़ रहा है।
भारत और इज़राइल के बीच समझौता।

दोनों के बीच नया समझौता: मुख्य बिंदु

हालिया समझौते का फोकस निवेश और आर्थिक साझेदारी पर है। इसमें निम्नलिखित पहलुओं को प्राथमिकता दी गई है:

  1. दोहरा कराधान बचाव समझौता यानि DTAA में सुधार – ताकि निवेशकों को दो देशों में कर का बोझ न उठाना पड़े।
  2. स्टार्टअप्स और नवाचार के क्षेत्र में निवेश – भारत के आईटी और बायोटेक सेक्टर में इज़राइली कंपनियाँ पूंजी लगाएंगी।
  3. रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में सह-निवेश – भारत के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत इज़राइल की कंपनियाँ भारत में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करेंगी।
  4. कृषि-तकनीक के क्षेत्र में निवेश – स्मार्ट फार्मिंग, जल संरक्षण और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में नई साझेदारियाँ होंगी।
  5. ऊर्जा और ग्रीन टेक्नोलॉजी – सौर ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों में संयुक्त निवेश।
भारत और इज़राइल के बीच समझौता।

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तेजी से निवेश बढ़ने के संभावित क्षेत्र

(क) रक्षा का क्षेत्र

  • भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है।
  • इज़राइल अपनी अत्याधुनिक तकनीक और इनोवेशन के लिए प्रसिद्ध है।
  • इस समझौते से भारत में संयुक्त रक्षा उत्पादन बढ़ेगा, जिससे न केवल आत्मनिर्भरता बढ़ेगी बल्कि रोजगार भी पैदा होंगे।

(ख) कृषि और जल प्रबंधन का क्षेत्र

  • भारत की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है।
  • इज़राइल ने रेगिस्तानी भूमि में खेती करके जल प्रबंधन और आधुनिक तकनीक का अनूठा मॉडल दिया है।
  • नई परियोजनाओं से भारत में फसल उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार होगा।

(ग) टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स में

  • भारत का बैंगलुरु, हैदराबाद, पुणे जैसे शहर टेक्नोलॉजी हब हैं।
  • इज़राइल साइबर सिक्योरिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मेड-टेक में अग्रणी है।
  • साझेदारी से दोनों देशों के स्टार्टअप्स को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में मदद मिलेगी।

(घ) ऊर्जा और पर्यावरण में

  • जलवायु परिवर्तन से निपटने में दोनों देश ग्रीन टेक्नोलॉजी और अक्षय ऊर्जा पर जोर देंगे।
  • भारत की विशाल ऊर्जा जरूरतें और इज़राइल की सौर तकनीक को कुल मिलकर एक स्थायी समाधान दे सकती हैं।

भारत को होने वाले लाभ के मुख्य बिन्दु:-

  1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में वृद्धि – नई कंपनियाँ और पूंजी भारत में आएगी।
  2. रोजगार सृजन – रक्षा उत्पादन, टेक्नोलॉजी और कृषि परियोजनाओं में नए रोजगार मिलेंगे।
  3. तकनीकी उन्नति – इज़राइल की एडवांस टेक्नोलॉजी भारत के उद्योग और कृषि को आधुनिक बनाएगी।
  4. निर्यात में बढ़ोतरी – भारत के उत्पादों को इज़राइल और पश्चिमी बाजारों तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी।
  5. भूराजनीतिक महत्व – पश्चिम एशिया में भारत की भूमिका और प्रभाव बढ़ेगा।

इज़राइल को मिलने वाले लाभ निमन्वत हैं:-

  1. बड़ा बाजार – भारत की विशाल जनसंख्या इज़राइली उत्पादों और तकनीक के लिए नया बाजार बनेगी।
  2. सस्ते उत्पादन की संभावना – भारत में कम लागत पर उत्पादन से Israel को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी।
  3. रणनीतिक साझेदारी – एशिया में भारत के साथ गठजोड़ से Israel की राजनीतिक स्थिति और मज़बूत होगी।
  4. स्टार्टअप सहयोग – भारतीय आईटी इंजीनियर और Israeli रिसर्चर मिलकर नवाचार करेंगे।

आने वाली चुनौतियाँ

  1. राजनीतिक अस्थिरता – पश्चिम एशिया की भू-राजनीतिक परिस्थितियाँ अस्थिर रहती हैं।
  2. सुरक्षा चिंताएँ – साइबर हमले और रक्षा तकनीक की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।
  3. आर्थिक संतुलन – भारत को ध्यान रखना होगा कि व्यापार संतुलन केवल आयात पर आधारित न हो।
  4. क्षेत्रीय राजनीति – भारत के अरब देशों से भी गहरे संबंध हैं, ऐसे में संतुलन बनाए रखना आवश्यक होगा।

भविष्य की संभावनाएँ पर एक नजर:-

इस समझौते से भारत-इज़राइल संबंध नई ऊँचाइयों पर पहुँचेंगे। दोनों देशों का सहयोग केवल आर्थिक नहीं रहेगा बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों तक फैलेगा। भविष्य में निम्न संभावनाएँ उभर सकती हैं:

  • भारत-इज़राइल मुक्त व्यापार समझौता यानि FTA पर चर्चा।
  • संयुक्त अनुसंधान केंद्र की स्थापना करना।
  • शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में सहयोग।
  • स्टार्टअप्स के लिए साझा फंड की स्थापना करना।

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इसका निष्कर्ष: संक्षिप्त रूप में

भारत और Israel का नया निवेश समझौता दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और कूटनीतिक रिश्तों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। जहाँ भारत को अत्याधुनिक तकनीक और निवेश मिलेगा, वहीं Israel को बड़ा बाजार और रणनीतिक सहयोग मिलेगा। यह साझेदारी ‘विकास, सुरक्षा और स्थिरता’ की त्रयी पर आधारित है। आने वाले वर्षों में यह न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूती देगा बल्कि वैश्विक मंच पर भारत और Israel को नई पहचान दिलाएगा।

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