वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश।

सुप्रीम कोर्ट का अन्तरिम आदेश 2025: वक्फ कानून पर कोर्ट की टिप्पणी का क्या महत्व है? जाने विस्तार से। Always Right or Wrong.

 

वक्फ बोर्ड अधिनियम क्या है और इसका संशोधन क्यों प्रस्तावित:-

  • वक्फ शब्द इस्लामी परंपरा से आया है: वह कर योग्य संसाधन या संपत्ति जिसे कोई मुसलिम व्यक्ति/समुदाय किसी धार्मिक, दैवीय या सार्वजनिक लाभ के उद्देश्य से दल देता हो, और जो अब उसकी निजी संपत्ति नहीं रहती। भारत में वक्फ्स की बड़ी संख्या है और इनकी संपत्तियाँ, वक्फ बोर्ड आदि इनके प्रबंधन से जुड़े नियम कानूनों से बँधे हैं।
  • लंबे समय से शिकायतें होती रही हैं कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग, कब्ज़ा, प्रबंधन की पारदर्शिता की कमी, संपत्ति के हितों की जिम्मेदारी नहीं होने जैसी समस्याएँ हैं।
  • इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने “वक्फ संशोधन बिल, 2025” पेश किया, जिसे संसद ने पारित किया और राष्ट्रपति की अनुमोदन के बाद अधिनियम बन गया। इस अधिनियम में कई नए प्रावधान जोड़े गए; वक्फ की व्याख्या, वक्फ संपत्ति की पहचान और पुनर्स्थापन, सरकार/प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिकाएँ, वक्फ ट्रिब्यूनल की शक्ति तथा वक्फ परिषद की संरचना आदि।
वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश।

वक्फ पर विवाद और याचिकाएँ:-

  • जैसे ही अधिनियम पास हुआ, अनेक व्यक्तियों/समुदायों/संस्थाओं ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, यह दलील देते हुए कि कई प्रावधान संविधान के मौलिक अधिकारों — जैसे धर्म की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25-26), समानता (अनुच्छेद 14), न्यायपालिका एवं कार्यपालिका के बीच शक्ति विभाजन — के विरुद्ध हो सकते हैं।
  • आप नेता अमानतुल्लाह खान सहित अन्य नेता, मुस्लिम व्यक्तिगत कानून बोर्ड, विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने अधिनियम के कुछ भागों को “बहुत हस्तक्षेप” वाला, “धार्मिक पहचान” से जुड़े अधिकारों का उल्लंघन करने वाला बताया।

इसपर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई:-

  • सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर सुनवाई कई दिनों तक चली। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति अगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने इसे सुना।
  • सुनवाई में केंद्र सरकार ने अधिनियम की वैधता का बचाव किया। कुछ प्रावधानों पर आपत्तियाँ स्वीकार की गईं कि वे अस्पष्ट हैं या लागू करने में समस्याएँ होंगी।

क्या होंगे सुप्रीम कोर्ट के तर्क और विचार:-

  • अदालत ने कहा कि किसी अधिनियम को पूरी तरह रोकना केवल बहुत “दुर्लभ मामलों” में किया जाता है। अधिनियम की संवैधानिक वैधता की एक अनुमानित धारणा रहती है, जब तक कि स्पष्ट उल्लंघन न हो।
  • औरrog के प्रावधानों के प्रति आपकी सुविधा, सरकारी कार्रवाई, व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश की गयी है। उदाहरण के लिए, पाँच साल की शर्त की व्यावहारिकता; सत्यापन कैसे होगा; पारदर्शिता और स्वायत्तता बनाये रखने की ज़रूरत।
  • संपत्ति से बेदखल करना अथवा राजस्व रिकॉर्ड बदलना, विशेषकर जब ट्रिब्यूनल या छूट की अपील प्रक्रिया बाकी हो, लोगों की संपत्ति के अधिकारों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है; इसलिए कोर्ट ने इसे रोक लगाया है।
वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश।

इसकी वर्तमान स्थिति क्या होगी

  • अधिनियम पूरी तरह लागू है, सिवाय उन प्रावधानों के जिन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगायी है।
  • जिन प्रावधानों पर रोक है, वे अस्थायी हैं — “जब तक राज्य सरकार नियम न बनाएँ” या “जब तक ट्रिब्यूनल/उच्च न्यायालय निर्णय न दे” जैसी शर्तों से बँधे हुए हैं।
  • याचिकाकर्ता और मुस्लिम संगठनों ने इस फैसले को आंशिक राहत माना, लेकिन पूरी राहत नहीं; उनके अनुसार अधिनियम के कुछ हिस्से अभी भी चिंताएँ बने हुए हैं।

संभावित आगे की राह पर एक नजर

  • नियम बनाना: राज्य सरकारों को यह तय करना होगा कि पाँच वर्षों से इस्लाम पालन की शर्त को कैसे सत्यापित किया जाए — इसके लिए स्पष्ट दिशानिर्देश या नियम बने। यदि नियम स्पष्ट नहीं हुए, तो वह प्रावधान लागू नहीं हो पाएगा।
  • वक्फ ट्रिब्यूनल / उच्च न्यायालय की सुनवाई: संपत्ति के मालिकाना हक़ एवं हितों के मामलों पर ट्रिब्यूनल एवं उसके बाद हाई कोर्ट से निर्णय आएगा। अदालत ने कहा है कि जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, संपत्तियों से बेदखल नहीं किया जाएगा।
  • वैधानिक वैधता की जांच: सुप्रीम कोर्ट आगे की सुनवाई करेगा कि अधिनियम के वे प्रावधान जो जारी हैं; क्या वे संविधान के अनुरूप हैं या नहीं।
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इसका निष्कर्ष:-

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत हुए बदलाव ने वक्फ प्रबंधन में सरकारी एवं प्रशासनिक शक्ति को अधिक स्थान दिया है, साथ ही वक्फ संपत्तियों की पहचान, रिकॉर्ड सुधार, और ट्रिब्यूनल प्रक्रिया जैसे प्रावधान शामिल किए हैं। लेकिन इन बदलावों ने एक ही समय में धर्म, पहचान, बराबरी और न्याय प्रणाली की पारदर्शिता जैसे संवैधानिक सिद्धांतों को लेकर चिंताएँ उत्पन्न की हैं।

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सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश बताता है कि कानून पूरी तरह बंद नहीं होगा, पर उन प्रावधानों पर रोक है जो तुरंत विवाद उत्पन्न कर सकते हैं या जिनकी व्यावहारिकता अस्पष्ट है। अदालत ने यह सुनिश्चित किया है कि संपत्ति अधिकारों की रक्षा हो जबकि सरकार नियम बनाए और संवैधानिक समीक्षा पूरी हो।

वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश।

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