Pakistan में 2 प्रतिशत हिन्दू समाज पर हो रहे अत्याचार। बड़े स्तर पर हो रहा धर्मांतरण। जाने विस्तार से। Always Right or Wrong.
Pakistan में हिन्दू समाज पर बढ़ रहे अत्याचार और धर्मांतरण का मुद्दा:-
Pakistan एक इस्लामी गणराज्य है जिसकी नींव वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के बाद ही रखी गई थी। विभाजन के समय Pakistan में हिंदू, सिख, ईसाई और अन्य अल्पसंख्यकों की बड़ी आबादी निवास करती थी। लेकिन आज, 75 वर्षों के बाद भी, वहां हिन्दू धर्म की संख्या कुल जनसंख्या का केवल 1.8 से 2 प्रतिशत ही बची है। हाल ही में Pakistan मानवाधिकार आयोग (Human Rights Commission of Pakistan – HRCP) ने अपनी एक रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि देश में हिन्दू धर्म पर अत्याचार तेजी से बढ़ रहे हैं और अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिन्दू धर्म और ईसाइ धर्म, को जबरन धर्मांतरण का सामना भी करना पड़ रहा है।
Pakistan में हिन्दू धर्म की वर्तमान स्थिति पर एक नजर:-
Pakistan के सिंध, पंजाब और बलूचिस्तान प्रांतों में हिंदु धर्म की संख्या सबसे अधिक है। सिंध में आज भी लगभग 85% पाकिस्तानी हिंदू निवास करते हैं। अधिकांश हिंदू समुदाय दलित या पिछड़ी जातियों से ताल्लुक रखते हैं, जो आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से काफी कमजोर हैं।
Pakistan के संविधान में अल्पसंख्यकों को धार्मिक स्वतंत्रता देने की बात कही गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल ही विपरीत है। धार्मिक स्वतंत्रता सीमित है, और अल्पसंख्यकों पर इस्लामी कानूनों (जैसे ब्लास्फ़ेमी लॉ) का इस्तेमाल करके उन्हें बड़ी संख्या में निशाना बनाया जाता है।
हिन्दू धर्म पर होने वाले अत्याचार निम्नलिखित हैं:-
हिंदु धर्म को Pakistan में कई प्रकार की समस्याओं और अत्याचारों का सामना करना पड़ता है, जैसे:
(क) देश में जबरन धर्मांतरण:-
सबसे गंभीर समस्या जबरन धर्मांतरण की है। खासकर हिंदू लड़कियों को अगवा कर मुस्लिम पुरुषों से उनकी शादी करा दी जाती है और फिर उन्हें जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाना गंभीर समस्या है।
- सिंध और पंजाब प्रांत में हर साल सैकड़ों ऐसी घटनाएँ सामने आती हैं।
- कई बार 13-14 साल की बच्चियों को भी अगवा कर इस्लामी धार्मिक स्थलों में निकाह आदि करा दिया जाता है।
- न्यायालयों और पुलिस तंत्र में मुस्लिम बहुसंख्यक मानसिकता के कारण भी पीड़ित परिवारों को सही प्रकार से न्याय नहीं मिल पाता।
(ख) देश में बढ़ता सामाजिक भेदभाव और आर्थिक शोषण:-
हिंदुओं को कई क्षेत्रों में छोटे कामों तक ही सीमित कर दिया जाता है। सरकारी नौकरियों में अल्पसंख्यकों की भागीदारी नगण्य के समान है।
- पानी, जमीन और शिक्षा तक की पहुँच में बड़े स्तर पर भेदभाव किया जाता है।
- कई जगहों पर हिंदुओं को मंदिर बनाने या धार्मिक आयोजन करने में भी बड़ी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं।
(ग) हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर बढ़ते हमले:-
मंदिरों को तोड़ा जाना, मूर्तियों को अपवित्र करना और धार्मिक आयोजनों पर पाबंदी लगाना आम हो चुका है।
- कराची, सिंध और पंजाब के कई हिस्सों में मंदिरों को तोड़े जाने की घटनाएँ दर्ज की गई हैं।
- कई बार स्थानीय भीड़ ‘धर्म का अपमान’ का आरोप लगाकर मंदिरों पर हमला कर देती है।
(घ) पाकिस्तान में ब्लास्फ़ेमी कानून का होता दुरुपयोग:-
Pakistan का ब्लास्फ़ेमी कानून (धारा 295) अल्पसंख्यकों के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।
- अक्सर झूठे आरोप लगाकर हिंदुओं और ईसाइयों को बड़ी संख्या में जेल में डाल दिया जाता है।
- इस कानून के डर से अल्पसंख्यक समुदाय खुलकर धार्मिक स्वतंत्रता का प्रयोग भी नहीं कर पाते।
Pakistan मानवाधिकार आयोग की प्रस्तावित रिपोर्ट:-
HRCP ने अपनी रिपोर्ट में यह माना है कि:
- Pakistan में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव बड़े स्तर पर हो रहा है।
- हिंदू समुदाय पर अत्याचार और जबरन धर्मांतरण की घटनाएँ भी बढ़ रही हैं।
- सरकार और न्यायपालिका पीड़ितों को पर्याप्त सुरक्षा और न्याय देने में भी विफल रही है।
- शिक्षा और रोजगार में अल्पसंख्यकों के लिए समान अवसरों की भी कमी है।
यह रिपोर्ट पाकिस्तान की लोकतांत्रिक छवि पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर एक नजर:-
भारत सहित कई अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने भी पाकिस्तान को धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए ‘खतरनाक देश’ करार दिया हुआ है।
- अमेरिका ने पाकिस्तान को कई बार “विशेष निगरानी सूची” (Special Watch List) में रखा हुआ है।
- भारत ने भी कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दबाव भी बनाया है।
https://www.youtube.com/watch?v=_XnH4w9BtVs
इसका निष्कर्ष:-
पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट इस सच्चाई की स्पष्ट पुष्टि करती है कि अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं। जबरन धर्मांतरण, मंदिरों पर हमले, सामाजिक भेदभाव और ब्लास्फ़ेमी कानून के दुरुपयोग ने हिंदुओं का जीवन पाकिस्तान में बहुत कठिन बना दिया है।
यह केवल पाकिस्तान का आंतरिक मामला मात्र नहीं है, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संकट भी है। पाकिस्तान को चाहिए कि वह अपने संविधान और अंतरराष्ट्रीय संधियों के अनुरूप अल्पसंख्यकों को समान अधिकार प्रदान करे, धर्मांतरण रोकने के लिए कठोर कानून भी बनाए और धार्मिक कट्टरपंथियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करे।
भारत और वैश्विक समुदाय को इस मुद्दे पर पाकिस्तान पर तेजी से दबाव बनाना चाहिए ताकि वहां के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
