जनरल लेवेल मैकेनिज्म 2025: चीन के विदेश मंत्री और भारत के NSA अजीत डोवाल ने क्यों बनाया यह नया मैकेनिज्म सिस्टम, SHMC और WMCC से कैसे अलग होता है, जाने विस्तार से। Always Right or Wrong.
भारत-चीन में जनरल लेवल मैकेनिज्म का संक्षिप्त विश्लेषण:-
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद दशकों पुराना है। वास्तविक नियंत्रण रेखा यानि LAC पर समय-समय पर तनाव की स्थिति उत्पन्न होती रहती है। ऐसे में दोनों देशों के बीच संवाद बनाए रखने और तनाव को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न स्तरों पर संवाद तंत्र (Mechanisms) विकसित किए जा रहे हैं। इनमें से सबसे अहम तंत्र है “जनरल लेवल मैकेनिज्म”। यह तंत्र दोनों सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच संवाद का एक औपचारिक मंच बना हुआ है, जिसका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और किसी भी विवादित स्थिति को कूटनीतिक व सैन्य वार्ता के जरिए स्पष्ट रूप से सुलझाना है।
जनरल लेवल मैकेनिज्म क्या है?
जनरल लेवल मैकेनिज्म का मुख्य अर्थ है – भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर (Corps Commander Level) या जनरल रैंक के अधिकारियों की बातचीत का एक औपचारिक ढांचा तैयार करना।
- इस बातचीत में आम तौर पर भारत की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी और चीन की ओर से मेजर जनरल या सीनियर ऑफिसर आते हैं।
- इन बैठकों का उद्देश्य LAC पर शांति, सीमा विवादों को सुलझाना और तनावपूर्ण हालात में “एस्केलेशन” यानी बड़े सैन्य संघर्ष को रोकना शामिल है।
जनरल लेवल मैकेनिज्म का मुख्य उद्देश्य:-
जनरल लेवल मैकेनिज्म का मूल उद्देश्य निम्नलिखित है –
- सीमा पर पूर्णरूप से शांति बनाए रखना।
- तनावपूर्ण स्थितियों को तत्काल प्रभाव से सुलझाना।
- गश्त (Patrolling) विवादों को स्पष्ट रूप से हल करना।
- विश्वास निर्माण उपाय (CBMs) को लागू करना।
- आपसी शिकायतें और सुरक्षा चिंताओं पर खुलकर एक-दूसरे से चर्चा करना।
- छोटे विवादों को बड़े सैन्य संघर्ष में बदलने से पूर्ण रूप से रोकना।
यह मैकेनिज्म किस प्रकार काम करता है?
- जब भी LAC पर कोई भी घटना होती है (जैसे सैनिकों का आमना-सामना, घुसपैठ, झड़प), तो इस मुद्दे को फ्लैग मीटिंग या बटालियन कमांडर लेवल पर बातचीत से सुलझाने की पूर्ण कोशिश की जाती है।
- अगर निचले स्तर पर समस्या का समाधान नहीं हो पाता है, तो उसे जनरल लेवल टॉक्स यानी कोर कमांडर स्तर की बैठक तक ले जाते हैं।
- ये बैठकें आमतौर पर सीमा के नजदीक किसी तय स्थान पर होती हैं और कई घंटे या कई दौर तक बैठकें चल सकती हैं।
- इन वार्ताओं में दोनों सेनाओं के अधिकारी लिखित और मौखिक संवाद के जरिए समाधान को तलाशते हैं।
दोनों देशों के लिए चुनौतियाँ और सीमाएँ:-
हालाँकि जनरल लेवल मैकेनिज्म ने कई सकारात्मक परिणाम दिए हैं, लेकिन इसकी सीमाएँ भी स्पष्ट हैं –
- सीमा का अस्पष्ट निर्धारण से, LAC की कोई अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमा रेखा नहीं है, जिससे विवाद बार-बार होने की संभावना रहती है।
- विश्वास की कमी होने से, चीन कई बार बातचीत में सहमति देता भी है, लेकिन जमीनी स्तर पर अलग व्यवहार देखने को मिलता है।
- धीमी प्रक्रिया होने पर, वार्ताएँ लंबी तो चलती हैं और समाधान निकलने में कई महीने या साल भी लग जाते हैं।
- आंशिक सफलता से, अभी भी कई विवादित क्षेत्र अनसुलझे बने हुए हैं।
- सैन्य दबाव की रणनीति के कारण, चीन अक्सर वार्ता के दौरान भी सैनिकों और हथियारों की तैनाती बनाए रखता है, जिससे भारत के लिए चुनौती बनी हुई है।
दोनों देशों के लिए भविष्य की दिशा:-
भविष्य में इस मैकेनिज्म की सफलता इस बात पर भी निर्भर करेगी कि –
- क्या दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्पष्टता और पारदर्शिता को ला पा रहे हैं?
- क्या चीन अपने विस्तारवादी रवैये को बदलकर आपसी विश्वास बहाल करने का प्रयास करता है?
- क्या इस मंच से निकले समझौतों को जमीनी स्तर पर ईमानदारी से लागू किया भी जाता है?
- क्या यह तंत्र सीमा विवाद के स्थायी समाधान की ओर कदम बढ़ा रहा है, या केवल अस्थायी शांति का साधन बनकर रह जाता है?
इसका निष्कर्ष:-
भारत-चीन का जनरल लेवल मैकेनिज्म दोनों देशों के बीच सीमा पर शांति बनाए रखने का एक अहम औजार बना हुआ है। वर्ष 1962 के युद्ध के बाद बनी अविश्वास की खाई को यह पूरी तरह पाट नहीं पाया है, लेकिन इसने निश्चित रूप से सीमा पर बड़े युद्ध को टालने और संवाद की परंपरा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह मैकेनिज्म “युद्ध से बचाव और बातचीत से समाधान” की नीति का प्रतीक भी बना हुआ है।
हालाँकि, इसके सीमित परिणामों से यह भी स्पष्ट देखने को मिलता है कि केवल सैन्य वार्ताओं से समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं है। इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, कूटनीतिक प्रयास और आपसी विश्वास की आवश्यकता भी है। फिर भी, जब तक दोनों देशों में सीमा विवाद कायम है, तब तक जनरल लेवल मैकेनिज्म भारत-चीन संबंधों का एक अनिवार्य हिस्सा बना ही रहेगा।
